नहीं रुका है, नहीं रुकेगा,
सबको रोक बढ़ते रहा है
द्रोण, भीष्म, सिकंदर आया
सबको छोड़ अजेय रहा है.
सूर्य चन्द्र हो या तारे
उदय-अस्त के ये मारे,
इसके आगे नभ है हारा
अवनी भी नहीं टिक पाई
गिरिराज हिमालय कतराता है
सागर भी भय खाता है,
नदी नाले थर्राते हैं,
समय सदा बढ़ जाता है.
चंद क्षणों का जीवन है,
यदि जीवन में कुछ करना है,
संग समय के चलना सीखो,
यदि आगे कुछ पाना है.
कमान से निकला तीर समय,
जबान से निकली वाणी समय,
मरू से निकली नीर समय,
पीछे नहीं देखता समय.
अजर अमर है समय सदा से,
फिर भी बढ़ते रहता है,
तुम मेहमान चाँद क्षणों के,
क्यों कर पीछे रहते हो,
कद्र करोगे तुम समय का
समय तुम्हारी कद्र करेगा,
समय से घबरा जाओगे
जीवन भर पछताओगे.
सबको रोक बढ़ते रहा है
द्रोण, भीष्म, सिकंदर आया
सबको छोड़ अजेय रहा है.
सूर्य चन्द्र हो या तारे
उदय-अस्त के ये मारे,
इसके आगे नभ है हारा
अवनी भी नहीं टिक पाई
गिरिराज हिमालय कतराता है
सागर भी भय खाता है,
नदी नाले थर्राते हैं,
समय सदा बढ़ जाता है.
चंद क्षणों का जीवन है,
यदि जीवन में कुछ करना है,
संग समय के चलना सीखो,
यदि आगे कुछ पाना है.
कमान से निकला तीर समय,
जबान से निकली वाणी समय,
मरू से निकली नीर समय,
पीछे नहीं देखता समय.
अजर अमर है समय सदा से,
फिर भी बढ़ते रहता है,
तुम मेहमान चाँद क्षणों के,
क्यों कर पीछे रहते हो,
कद्र करोगे तुम समय का
समय तुम्हारी कद्र करेगा,
समय से घबरा जाओगे
जीवन भर पछताओगे.
____________________________