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Saturday 24 September 2011

बिम्ब

रेखांकन: ललित मिश्रा 
हर पल खुशियाँ बिखराने को 
दिल की आभा काफी है 
अमृत मुखरित बिम्ब है उसमें
वहाँ पवित्रता की वाणी है...

तेज प्रताप रश्मि जहां है
मानवता का संचार वहाँ है
अखिल विश्व  की संजीवनी 
स्वार्थों का संहार वहाँ  है...

आधार शीला बस एक यही है 
यही है ज्ञान चक्षु मेरी 
मेरी दिव्य पताका यही है 
यही ज़िंदगी मेरी है...

भूत भविष्य यही है 
नित धर्म कर्म यह मेरी है 
उसकी हर क्रंदन में मैं हूँ 
मेरी छोटी सी दुनिया यही है. 

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